Saturday, July 9, 2016

"प्रभु-कृपा"

श्री गुरुदेव भगवान ने प्रभु-कृपा प्राप्त करने का उपाय ऐसे सीधे सरल रूप में दे दिया कि विश्वास करना कठिन है।


"प्रभु कृपा सब प्राप्त करने के इच्छुक है किन्तु अज्ञान का पर्दा आगे छाया रहता है। प्रभु कृपा सदा बरसती है, आवश्यकता है, तो अपने पात्र को सीधा तथा साफ रखने की। यदि पात्र ही गन्दा है तो कृपा का अमृत भी व्यर्थ हो जाएगा। शुद्ध श्रद्धा के पात्रों में परोसी गई प्रार्थना अवश्य सुनी जाती है। भोग के पात्र में दूसरी कोई वस्तु रखने से पात्र भ्रष्ट हो जाते हैं और भ्रष्ट पात्रों में भोग लगाने से बुरा फल मिलता है। मन के पात्र को समर्पण के साबुन से शुद्ध किया जाता है। जैसे शीशे पे धूल जमीं हो तो अपना चेहरा भी मैला दिखता है वैसे ही मन मैला है तो श्रद्धा भी वैसी और समर्पण भी वैसा ही। श्रद्धा और समर्पण तो एक दूसरे के अनुपूरक है। मन को शुद्ध करने की कुंजी है - गुरुदेव के बताये सन्मार्ग पे पूर्ण श्रद्धा से चलना।"