Sunday, December 4, 2016

ब्रह्म विद्यापीठ के प्रांगण में स्थित श्री विश्वनाथ महादेव मंदिर के दर्शन करने आए श्रद्धालुओं को सत्संग का लाभ देते हुए प्रात:स्मरणीय परम पूज्य परमहंस परिव्राजकाचार्य श्रोत्रिय ब्रह्मनिष्ठ विद्वद् वरिष्ठ दण्डी स्वामी श्री महादेव आश्रम जी महाराज ने शुकताल के तीर्थ महात्मय को समझाया तथा श्रीमद् भगवद् गीता के श्लोक " त्रिविधं नरकस्येदं द्वारं नाशनमात्मन:। काम: क्रोधस्तथा लोभस्तस्मादेतत्त्रयं त्यजेत् ॥" द्वारा नरक के तीन द्वारों (काम, क्रोध और लोभ) से सावधान रहने की शिक्षा दी। बोलो श्री सद्गुरुदेव भगवान की सदा ही जय हो।