परम पूज्य श्री गुरूदेव द्वारा रचित भजन
हे भोले शंकर हे त्रिपुरारी,
कृपा जो हो जाये हम पे तुम्हारी,
हो जाये पार नैया भव से हमारी।।
आशुतोष नाम तेरा ,हिमालय में वास तेरा,
दे दो वास चरणों में विनती हमारी, हे भोले शंकर हे त्रिपुरारी,
कृपा जो हो जाये हम पे तुम्हारी,
हो जाये पार नैया भव से हमारी।।
काटो भव के बंधन जो हमको सताते हैं ,
काम क्रोध लोभ निशदिन जग में फंसाते हैं।
इनसे बचाकर रखो, विनती हमारी हे भोले शंकर हे त्रिपुरारी,
कृपा जो हो जाये हम पे तुम्हारी,
हो जाये पार नैया भव से हमारी।।
चित्त मेरा निशदिन चरणों में लग जाये ,
शिव शिव गाने में सुर मेरा मिल जाये।
छुड़ा दो ये आना जाना शिव भंडारी,हे भोले शंकर हे त्रिपुरारी,
कृपा जो हो जाये हम पे तुम्हारी,
हो जाये पार नैया भव से हमारी।।
दुनिया का लोभ कोई हमको सताये ना,
सिवा नाम शिव के कुछ काम भाये ना।
आखिरी प्रार्थना सुन लो हमारी, हे भोले शंकर हे त्रिपुरारी,
कृपा जो हो जाये हम पे तुम्हारी,
हो जाये पार नैया भव से हमारी।।
है विश्वास हमको विनती सुनोगे,
भव से नौका प्रभु पार भी करोगे।
बस उससे पहले, सिर्फ उससे पहले
"महाईश" मिल जाये झलक तुम्हारी हे भोले शंकर हे त्रिपुरारी,
कृपा जो हो जाये हम पे तुम्हारी,
हो जाये पार नैया भव से हमारी।।
हे भोले शंकर हे त्रिपुरारी,
कृपा जो हो जाये हम पे तुम्हारी,
हो जाये पार नैया भव से हमारी।।
आशुतोष नाम तेरा ,हिमालय में वास तेरा,
दे दो वास चरणों में विनती हमारी, हे भोले शंकर हे त्रिपुरारी,
कृपा जो हो जाये हम पे तुम्हारी,
हो जाये पार नैया भव से हमारी।।
काटो भव के बंधन जो हमको सताते हैं ,
काम क्रोध लोभ निशदिन जग में फंसाते हैं।
इनसे बचाकर रखो, विनती हमारी हे भोले शंकर हे त्रिपुरारी,
कृपा जो हो जाये हम पे तुम्हारी,
हो जाये पार नैया भव से हमारी।।
चित्त मेरा निशदिन चरणों में लग जाये ,
शिव शिव गाने में सुर मेरा मिल जाये।
छुड़ा दो ये आना जाना शिव भंडारी,हे भोले शंकर हे त्रिपुरारी,
कृपा जो हो जाये हम पे तुम्हारी,
हो जाये पार नैया भव से हमारी।।
दुनिया का लोभ कोई हमको सताये ना,
सिवा नाम शिव के कुछ काम भाये ना।
आखिरी प्रार्थना सुन लो हमारी, हे भोले शंकर हे त्रिपुरारी,
कृपा जो हो जाये हम पे तुम्हारी,
हो जाये पार नैया भव से हमारी।।
है विश्वास हमको विनती सुनोगे,
भव से नौका प्रभु पार भी करोगे।
बस उससे पहले, सिर्फ उससे पहले
"महाईश" मिल जाये झलक तुम्हारी हे भोले शंकर हे त्रिपुरारी,
कृपा जो हो जाये हम पे तुम्हारी,
हो जाये पार नैया भव से हमारी।।