Monday, February 8, 2016

" लक्ष्य के प्रति एकाग्रता"

परम श्रद्धेय गुरूदेव द्वारा रचित पुस्तिका "नैतिक शिक्षा" में से साभार











 द्रोणाचार्य हस्तिनापुर में पांडव एवं कौरव राजकुमारों को अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा दे रहे थे। बीच-बीच में आचार्य अपने शिष्यों के हस्त लाघव, लक्ष्यवेध, शस्त्र चालन की परीक्षा भी लेते रहते थे एक बार उन्होंने एक लकड़ी का पक्षी बनवाकर एक सघन वृक्ष की ऊँची शाखा पर रखवा दिया। राजकुमारों से कहा गया कि उस पक्षी के बायें नेत्र में उन्हें बाण मारना है। सबसे पहले सबसे बड़े राजकुमार युधिष्ठिर ने धनुष उठा कर उस पर बाण चढ़ाया। उसी समय आचार्य ने उनसे पूछा --"तुम क्या देख रहे हो ?"
युधिष्ठिर बोले --"मैं वृक्ष को, आपको तथा अपने सभी भाईयों को देख रहा हूँ। "
आचार्य ने आज्ञा दी --"तुम धनुष रख दो। " युधिष्ठिर ने चुपचाप धनुष रख दिया। अब दुर्योधन उठे, बाण चढ़ाते ही उनसे भी आचार्य ने वही प्रश्न किया। दुर्योधन ने उत्तर दिया --"मैं सभी कुछ तो देख रहा हूँ। इसमें पूछने की क्या बात है ?"
उनसे भी आचार्य ने धनुष रख देने को कहा। बारी-बारी से सभी राजकुमार उठे, सभी से वही प्रश्न किया गया तथा सभी का एक ही जैसा उत्तर मिला। सबके अंत में आचार्य की आज्ञा से अर्जुन उठे और उन्होंने धनुष पर बाण चढ़ाया। उनसे भी आचार्य ने पूछा --"तुम क्या देख रहे हो ?"
अर्जुन ने उत्तर दिया--"मैं केवल यह वृक्ष देख रहा हूँ। "आचार्य ने पूछा --"मुझे और अपने भाइयों को क्या तुम नहीं देखते हो ?"
अर्जुन बोला --"नहीं गुरूवर इस समय तो मैं आपमें से किसी को नहीं देख रहा हूँ तथा न ही पूरा वृक्ष अब मुझे दिखता है, मैं तो केवल वह शाखा ही देख रहा हूँ जिस पर पक्षी है। "आचार्य ने फिर पूछा --वह शाखा कितनी बड़ी है?" अर्जुन बोले --"मुझे पता नहीं। मैं तो केवल पक्षी को ही देख रहा हूँ। "आचार्य ने फिर पूछा --"बेटा जरा बताओ तो कि पक्षी का क्या रंग है ?"अर्जुन ने कहा --"पूज्यवर मुझे अब पक्षी का रंग नहीं दिखाई देता है, हाँ उसका बायाँ नेत्र अवश्य काले रंग का दिखाई दे रहा है। आचार्य ने आज्ञा दी --ठीक है, केवल तुम ही लक्ष्य वेध कर सकते हो, बाण चलाओ। "अर्जुन के द्वारा छोड़ा गया बाण सीधे पक्षी के बाएँ नेत्र में चुभा। 
 आचार्य ने शिष्यों को समझाया --"बेटा !जब तक लक्ष्य पर दृष्टि इतनी स्थिर न हो कि लक्ष्य के अतिरिक्त दूसरा कुछ न दिखाई दें तब तक लक्ष्य की प्राप्ति नहीं हो सकती। इसी प्रकार आपको लक्ष्य प्राप्ति में पूरी एकाग्रता रखनी चाहिए। "

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